11 मार्च, 2020 को WHO ने कोरोना वायरस या COVID-19 को महामारी घोषित कर दिया। चीन के वूहान शहर से दुनिया भर में तेज़ी से फैली इस बीमारी ने देखते देखते तमाम देशों को अपनी चपेट में ले लिया – इस वक़्त लाखों लोग संक्रमित हैं और कई हज़ार दम तोड़ चुके हैं – पर इंसानी स्वभाव है की वो कभी हार नहीं मानता – कोरोना वायरस से पहले भी तमाम बीमारियां चौतरफा फैलीं और फिर काबू में आ गयीं – Covid-19 का इलाज ढूढ़ने के प्रयास सारी दुनिया में युद्ध स्तर पर जारी हैं – पर तब तक इसके प्रसार को कैसे रोका जाए, तमाम देश इस ओर पूरी ताक़त झोके हुए हैं, इस भगीरथ प्रयास में तकनीक बड़ी ही एहम भूमिका निभा रही है – हाल ही में भारत सरकार ने Android, iOS उपयोगकर्ताओं के लिए COVID-19 ट्रैकिंग ऐप ‘आरोग्य सेतु’ लॉन्च किया, इस ऐप का उद्देश्य नागरिकों को COVID-19 से कैसे बचा जाये, क्या सावधानियां बरती जायें और इस पर चल रहे शोध संबंधित जानकारी जनता तक पहुँचाना है.
पर ये एप्प जो सबसे बड़ा काम कर रहा है वो उपयोगकर्ताओं को यह पहचानने में मदद है कि उन्हें कोरोनोवायरस से संक्रमित होने का जोखिम है या नहीं, ये एप्प ये भी बताता है कि कहीं आप जानबूझकर या अनजाने में ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में तो नहीं आये हैं जो COVID-19 पॉजिटिव पाये गए है। जानकारी के लिए, यह एप्प छोटी दूरी के ब्लूटूथ सिगनल्स का उपयोग करता है, भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में जहाँ हर व्यक्ति का टेस्ट संभव न हो वहां इस एप्प की भूमिका बेहद एहम हो जाती है, आप तक ये जानकारी लाने के लिए आरोग्य सेतु संक्रमित लोगों के एक सरकारी डेटाबेस का उपयोग करता है। यह राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है जो इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के अंतर्गत आता है। ये एप्प 11 भाषाओँ में है – इसके साथ ही आम जन तक पहुंचने के लिए सरकार ने व्हाट्सअप हेल्पडेस्क नंबर भी लांच किया है जिसका नंबर 9013151515 है, 24 /7 हेल्पलाइन भी है (1075, 1800112545, 011 – 23978046). इसके साथ ही केरल जैसे राज्य भी हैं जो संक्रमित नागरिकों के साथ उन सभी लोगों की पहचान के लिए CCTV का इस्तेमाल कर रहे हैं जिनसे इनका संपर्क हुआ था.
सिर्फ भारत में ही नहीं , तमाम देश हैं जो तकनीक का सदुपयोग कर अपनी जनता को सुरक्षित कर रहे हैं, पर सनद रहे हम यहाँ आकड़े बताने से परहेज कर रहे हैं क्यों कि ये तेज़ी से बदल रहे हैं – -
शुरुआत करते हैं चीन से जहाँ से ये वायरस निकला, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले इस देश ने इस महामारी से कैसे दो -दो हाथ किये – यहाँ दो व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मोबाइल फोन ऐप, अलीपे और वीचैट ने प्रतिबंधों को लागू करने में बड़ी मदद की, ये एप्प सरकार को लोगों की आवाजाही पर नज़र रहने के साथ साथ संक्रमित व्यक्तियों को यात्रा करने से रोकते थे -आपकी जानकारी के लिए यहाँ हर मोबाइल फोन धारक के इंस्ट्रूमेंट पर कलर कोड होता है जिसमें हरा, पीला या लाल रंग उस व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति को दर्शाता है – इससे ट्रेन स्टेशनों पर, checkpoints पर या किसी भी सार्वजनिक स्थल पर मौजूद सुरक्षा एजेंसियों को पता चलता है कि किसे रोकना है – विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक़ इन सभी उपायों के चलते सामाजिक संपर्क लगभग शून्य हो जाता है – ये उपाय काम कर गए। और अंत में संक्रमित लोग अपने परिवार के बाहर शायद ही वायरस फैला पाए – और इस तरह वायरस की transmission chain ध्वस्त की गयी, इस महामारी के प्रसार पर अंकुश लगाया गया – रिपोर्ट से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक़ इस कामयाब पहल के चार स्तम्भ थे – टेस्टिंग, एआई द्वारा जनित विराट डाटा, social distancing और quarantine – यानी मानव और तकनीक का संयुक्त प्रयास। फिलहाल इस रिपोर्ट को लिखते वक़्त – चीन के सरकारी आकड़ों के मुताबिक़ इस महामारी से ग्रस्त मरीजों की संख्या single digit में आ गयी है -पर फिर भी यहाँ सुरक्षा उपायों में ढील नहीं दी गयी है
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया कोरोना इस वायरस के प्रकोप की रिपोर्ट करने वाले शुरुआती देशों में से एक था, लेकिन तब से यहाँ नए मामलों में बड़ी गिरावट आई है- आपको बता दें कि दक्षिण कोरिया दुनिया में तकनीकी तौर पर उन्नत देशों में से एक है, यहाँ हर नागरिक अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करता है, और फिर सरकार इन फोन्स का इस्तेमाल न केवल नागरिकों की आवाजाही ट्रैक करने, बल्कि चेतावनी भेजने के लिए भी करती है जैसे आपके आसपास अगर कोई संक्रमित व्यक्ति है.- आपकी जानकारी के लिए, यहाँ सभी ग्राहकों को फ़ोन कम्पनीज को वास्तविक नाम और राष्ट्रीय रजिस्ट्री नंबर देना आवश्यक होता है इससे ग्राहकों को ट्रैक करना संभव होता है। दक्षिण कोरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने quarantine में रह रहे लोगों पर नज़र रखने के लिए CCTV और एक अलग मोबाइल ऐप भी विकसित किया है साथ ही बड़े क्षेत्रों में संक्रमण समाप्त करने के लिए ड्रोन का उपयोग भी किया गया, सरकार के साथ साथ यहाँ के नागरिक भी इस जंग में पीछे नहीं हैं -कॉलेज छात्र ली डोंग-हुन ने देश के अंदर फ़ैल रहे संक्रमण के मामलों पर नज़र रखने के लिए कोरोनमैप नाम की एक वेबसाइट बनाई जो सरकारी आकड़ों को एक जगह इकठा करती है, इसका एक और मक़सद झूठी खबरों पर भी लगाम लगाना है, वेबसाइट 30 जनवरी को लाइव हुई और अगले दिन इसे 24 लाख पेज व्यू मिले, अब तक इस वेबसाइट को 3 करोड़ , 70 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है। साथ ही स्थानीय सरकार ने विदेशी आगंतुकों पर नजर रखने के लिए एक “Self Help Test’ मोबाइल ऐप भी विकसित किया है। अधिकारियों के मुताबिक़ इस ऐप को 60,000 से अधिक बार डाउनलोड किया गया है, और इसकी उपयोग दर 90 प्रतिशत से अधिक है। आपको बता दें कि सारी दुनिया में सराहे जा रहे कोरियाई मॉडल ने कोरोना वायरस को मजबूत टक्कर दी – तथा डेबिट और क्रेडिट कार्ड डाटा, मोबाइल फोन्स, CCTV, एप्प और ड्रोन्स का इस्तेमाल कर बड़े पैमाने पर ज़िंदगियाँ बचायी हैं.
सिंगापुर
सिंगापुर, चीनी शहर वुहान से आने वाली हवाई उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले राष्ट्रों में से एक था. सिंगापुर में संकर्मित लोगों की संख्या बढ़ने की रफ़्तार काफी धीमे रही, यहाँ कोरोना वायरस से जुड़े मामलों में विस्फोट नहीं हुआ क्यूंकि इसे शुरू से ही तकनीक का इस्तेमाल कर आक्रामक रूप से ट्रैक किया गया – विशेषज्ञों की राय में सिंगापुर ने सब कुछ सही किया है,स्थानीय सरकार रोज़ सोशल मीडिया और दूसरे संचार माध्यमों से जनता के साथ संवाद कर रही है – और समझा रही है हर नागरिक को न सिर्फ अपने को बचाना है बल्कि दूसरों की रक्षा भी करनी है -सामूहिक सभाओं को रद्द कर दिया गया है पर स्कूलों को बंद नहीं किया गया है, हालांकि छात्रों को प्रवेश करने के लिए temperature टेस्ट्स से गुजरना पड़ता है। यही व्यवस्था ज्यादातर इमारतों या रेस्तरां में लागू है – इसी तरह हर क्लास की शुरुआत में तस्वीरें ली जाती है ताकि अगर कोई छात्र बीमार हो जाए, तो उसके निकट संपर्क में कौन रहा उसका रिकॉर्ड रहेगा. सिंगापुर ने इस महामारी के आरंभिक दौर में बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर एक बहुत जरूरी सेरोलॉजी टेस्ट भी विकसित किया जो रक्त में एंटीबॉडी की तलाश कर पिछले संक्रमण का संकेत देता है – विशेषज्ञों के मुताबिक़ इस टेस्ट से ये पता चलता है ये वायरस वास्तव में कितना घातक है, स्थानीय अधिकारियों ने इसी परीक्षण के माध्यम से एक स्थानीय धार्मिक समूह में फैले केसेस का फरवरी में ही पता लगा लिया था – साथ ही सिंगापुर में, सरकार ने ‘Trace Together‘ नाम से एक ऐप शुरू किया। यह सेलफोन के बीच ब्लूटूथ सिग्नल का उपयोग करता है यह देखने के लिए कि क्या कोरोनवायरस के संभावित वाहक अन्य लोगों के साथ निकट संपर्क में हैं। वैसे ये भी कहा जा सकता है की सिंगापुर को छोटा प्रदेश होने का लाभ भी मिला है -यहाँ बड़े ही सीमित इलाके को बंद किया गया है और कोरोना वायरस को टेक्नोलॉजी और social distancing जैसे उपायों से सफलता पूर्वक निबटा जा रहा है, फिलहाल इस रिपोर्ट को लिखते वक़्त यहाँ हालात काबू में हैं और फोकस अमेरिका और यूरोप से आने वाले यात्रियों पर हैं
इस लेख में हमने कोरोना वायरस के खिलाफ इस जंग में तकनीक का सफल इस्तेमाल कर रहे कुछ देशों की बात की, इसके अलावा हांगकांग जैसे देश भी हैं जहाँ Quarantine में रह रहे लोगों पर नज़र रहने के लिए एक कलाईबैंड पहनाया गया है जो एक स्मार्टफोन ऐप से जुड़ा था, यदि कोई अपनी जगह से बाहर निकलता है तो ये एप्प अधिकारियों को सतर्क कर देता है. इजराइल में तो सुरक्षा एजेंसीज नागरिकों के सेल फोन के लोकल डेटा पर नज़र रख रही हैं ताकि ज़रुरत पड़ने पर वे Quarantine के नियम लागू कर सकें और संक्रमित लोगों की गतिविधियों पर नज़र रख सकें। हलाकि इस मुद्दे पर निजता के हनन पर कुछ सवाल उठे ज़रूर पर जीवन की इस जंग में वो कहीं दूर पीछे छूट गए।
फिलहाल रिपोर्ट्स के मुताबिक़ कोरोना वायरस के खिलाफ छिड़ी जंग में
1. इजराइल, इटली, ताइवान, दक्षिण कोरिया जैसे देश लोकल डाटा का इस्तेमाल कर संक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहे हैं
2. ब्रिटैन, भारत और दक्षिण कोरिया ने एप्प को हथियार बनाया है अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए
3. चीन ने AI थर्मल कैमरे का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया है इस वायरस इ प्रसार को रोकने लिए
4. सिंगापुर और चीन ने Quarantine सेंटर्स पर नज़र रखने के लिए रोबोट्स भी इस्तेमाल किये हैं
तो आज दुनिया के तकरीबन हर देश में पैर पसार चुके इस वायरस ने जहाँ कुछ विकसित देशो में सैकड़ों जानें ली हैं और लाखों को कष्ट पहुंचाया है वहीँ कुछ देश सतर्कता और बुद्धिमानी के चलते इस महामारी पर काबू पाए हुए हैं और साबित कर रहे हैं कि ये वायरस भी अजेय नहीं है, ज़रुरत है सामूहिक प्रयासों की, ये दौर भी गुज़र जायेगा।