अगली लाइन है ”भले ,बुरे सारे कर्मो को देखे और दिखाए ” . तो जल्द इस दौर का इतिहास लिखा जाएगा। और ऐसे तमाम दर्पण आज घट रहे सारे अच्छे, बुरे कर्मो का स्वतः दस्तावेज़ बन जायेंगे। शुरुआत हो चुकी है। मसलन मोरक्को निवासी, 27 बरस की सॉकेना My COVID-19 Story #YouthOfUNESCO campaign. के पेज पर लिखती हैं कि कैसे वो अकेलेपन के इस दौर में अपनी बुज़ुर्ग पडोसी के घर का सामान लाती है, मौका मिले तो उनके घर जाकर वक़्त बिताती हैं। उनका हौसला बढ़ाती है। अपने होने का सबूत देती हैं।
आपकी जानकारी के लिए ये कैंपेन UNESCO ने दुनिया भर के युवाओं के लिए शुरू किया है। इसका मक़सद COVID-19 महामारी से जुड़े अपने अनुभवों को कलम या वीडियो के माध्यम से दर्ज़ कराना है -कि कैसे आप इस चुनौतीपूर्ण समय को बिता रहे हैं। कैसे रचनात्मक विचारों को विकसित कर रहे हैं। अपने समुदाय की मदद कर रहे हैं, शिक्षण के नए तौर तरीकों पर माथापच्ची कर रहे हैं, अपने रिश्तेदारों और प्रियजनों की देखभाल कर रहे हैं वगैरह वगैरह।
भारत में भी युवाओं की भूमिका की प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर सराहना की। उन्होंने कहा कि ”कोविद -19 के खिलाफ संघर्ष में युवा सबसे आगे हैं” . अभी हाल ही में दिल्ली निवासी 20 वर्षीया उदित कक्कड़ ने 3 डी प्रिंटर के माध्यम से अपने घर ही में फेस शील्ड बना डाली। इसका उपयोग फ्रंटलाइन वर्कर्स द्वारा किया जा सकता है। इन्हें यह आईडिया तब आया जब इनकी माँ को अस्पताल में ऐसे उपकरण की आवश्यकता महसूस हुई। उदय रोज़ 20 -25 फेस शील्ड्स बना रहे है। और अब इन्हें दिल्ली के तमाम अस्पतालों, लैब्स और डॉक्टर्स से आर्डर आ रहे हैं। ये शील्ड्स स्वास्थ्य कर्मियों को मरीज़ों की छींक और ज़ुखाम से सुरक्षित रखती है।
इसी तरह भारत के बायोमेडिकल इन्फार्मेटिक्स विशेषज्ञ कानव काहॉल ने एक हेल्थ मिरर बनाया है। ये एक स्मार्ट मिरर है जो सामने खड़े व्यक्ति की उपस्थिति दर्ज़ कर उसे हाथ धोने की सही प्रक्रिया समझाता है। और ये सब संभव होता है उस 35 सेकंड के एनिमेटेड वीडियो से जो WHO के दिशा निर्देशों पर बना है। तो ये कुछ उदहारण हैं उर्वरक युवाशक्ति का। भारत में युवा कुल जनसंख्या का एक-चौथाई से अधिक है। हमने इस विषय से जुड़े कुछ जानकारों से बात की तो उनके मुताबिक़ इन बंदिशों में भी हमारा युवा काफी कुछ कर सकता है।
– सोशल मीडिया और एप्प्स के माध्यम से सटीक जानकारी आम आदमी तक पहुँचाना
– कमज़ोर, उपेक्षित वर्ग के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना, सहयोग करना
– अनुसंधान और तकनीक के विकास को केंद्र में रखना
– खाद्य और स्वच्छता को कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना, उसे साथ रखना
– लक्षित वर्गों की प्रभावी और सही देखभाल करना
– जीवनदायनी प्रणालियों की क्षमता और गुडवत्ता में इजाफा करना
– संचार माध्यमों की शक्ति का व्यापक सदुपयोग करना
– जनकल्याण के लिए जनप्रतिनिधियों, अधिकारिओं के साथ तंत्र बनाना
संयुक्त राष्ट्र ने COVID-19 को चुनौती देने की नयी योजना बनायीं है, उसके मुताबिक़ हमारे युवा वर्ग पर भी इस महामारी का व्यापक सामाजिक-आर्थिक असर हुआ है। फिर भी, ये वर्ग जवाबी मोर्चे पर सबसे अधिक सक्रिय हैं। ये न केवल स्वास्थ्य कर्मी के रूप में सुर्खियों में हैं, बल्कि शोधकर्ताओं, नवप्रवर्तकों (innovators) और संचारकों की भूमिका में स्वास्थ्य और सुरक्षा को आगे बढ़ा रहा हैं। और इस तरह ये वर्ग नीति निर्माताओं को साफ़ सन्देश भेज रहा है कि वो स्वस्थ, सुरक्षित और न्याय संगत दुनिया के लिए चल रही जंग में समाधान का अटूट हिस्सा हैं।
और अंत में, कोरोनवायरस ने हमें फिर एक शाश्वत सत्य से रूबरू कराया है -कि हम सभी जुड़े हुए हैं और यह पूरी दुनिया एक परिवार है। सदियों पहले, हितोपदेश में इसी भावना को ”वसुधैव कुटुम्बकम” कहा गया। आज भारत समेत सारी दुनिया का युवा वर्ग इसका विराट द्योतक बन चुका है।