इस वक्त देश के साथ साथ राजधानी दिल्ली भी अभूतपूर्व कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडॉउन में हैं। सड़कें सूनी और काम बंद। लोग अपने घरों में कैद हैं। ऐसे में आम लोगों को करोना संक्रमण से बचाने के लिए सैनिटाइजेशन करने का मामला हो या फिर बेहद गरीब लोगों तक रोटी पहुंचाना…. इस काम के लिए स्थानीय लोगों से लेकर कई स्वयंसेवी संस्थाओं के हाथ उठे हैं।
राज्यसभा टीवी की टीम ने दिल्ली के मोतीनगर-कर्मपुरा इलाके का जायज़ा लिया जहां लोग इन स्वंयेवी संस्थाओं के काम का ताली बजाकर स्वागत करते दिखे। हमने देखने की कोशिश की कि आखिर इनमें से एक एनजीओ ‘पंख एक प्रयास’ ऐसा क्या काम कर रहा है। हमने देखा कि इस एनजीओ के सदस्य घर घर जाकर लोगों के दरवाजों और संक्रमित होने की आशंका वाली हर जगह को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। स्थानीय नागरिक खगेश सेठ ने बताया कि सैनिटाइजेशन ने उनके भय को दूर किया है और काम शानदार हो रहा है।
दरअसल सरकारी कोशिश हो तो रही है लेकिन घर घर तक उनकी पहुंच कई बार नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्य सड़कों तक ही सैनिटाइजेशन का काम हो रहा है। कई बार विधायक और पार्षद का अलग अलग राजनीतिक दल से होना भी इसमें बाधा बनता है लेकिन बहरहाल इस राजनीति से दूर घर घर के दरवाजो को सैनिटाइज करने का बीड़ा एनजीओ ने उटाया है। एनजीओ के संयोजक राजीव गोयल कहते हैं कि …..सरकार का सैनिटाइजेशन मेन रोड तक रह जाता है पर वो घरों की दहलीज तक ये काम करते हैं।…..
सैनिटाइजेशन के साथ साथ एनजीओ का एक काम यहां के लोगों से खाने पीने की सामग्री इकट्ठा करना भी है। आस पास के इलाकों से वैन में खाने पीने से लेकर रोटियां तक इकट्ठा की जाती हैं जिसे पास स्थिति जखीरा इलाके में झुग्गियों में बंटवाया जाता है। यहां खाना बांटना भी किसी चुनौती से कम नहीं क्योंकि गरीबी और असुरक्षा के चलते भीड़ कई बार खाने के लिए बेकाबू भी हो जाती है। इस बस्ती में 18 से बीस हजार की आबादी बेहद गरीबी की स्थिति में रहती है जो इन दिनों काम बंदी से खाने की तंगी से गुजर रही है।
लेकिन संकट की इस घड़ी में ये एनजीओ उनके लिए मददगार साबित हो रहे हैं। आस पास के लोग इन लोगों के लिए खाना इकट्ठा करते हैं और उसे बांटने में एनजीओ के कामकाज की तारीफ कर रहे हैं। एनजीओ पंख एक प्रयास की वाइस प्रेसीडेंट सीमा आर्य बताती हैं कि कई मोहल्लों से इकट्ठा किया गया राशन और रोटियां किस तरह इन गरीब लोगों तक पहुंचकर उनकी जिंदगी को बचाने का काम कर रहा है। हमने देखा कि स्थानीय लोग खुशी खुशी जो हो सकता है वो न सिर्फ दान देते हैं बल्कि एनजीओ की कोशिशों में जो बन पड़ रहा है वो करने को तैयार है।
कोरोना संकट के इस मुश्किल वक्त में एनजीओ या संगठन ही नहीं बल्कि अंतरआत्मा की आवाज पर भी मदद के हाथ उठे हैं। दिल्ली में जायजा लेने के क्रम में हम नई दिल्ली के मंदिर मार्ग इलाके में पहुंचे। एक दृश्य दिखा जब सड़क के किनारे बैठे करीब 40 लोग पेड़ की छांव में बैठे खाना खा रहे हैं और वक्त है दोपहर दो बजे का। कार की डिग्गी में पैक किया हुआ खाना लिए कई नौजवान निस्वार्थ रुप से उन्हें ये पैकेट और पानी बांटते दिखे। जरुरत मंद भूखे लोगों से बात करने पर अहसास हो गया कि उन्हें इनकी कितनी जरुरत थी। मंदिर मार्ग के रहने वाले एक नौजवान नीरज कुमार ने बताया कि उन्हें अपने नागरिक होने का धर्म निभाने की प्रेरणा मिली और वो निकल पड़े अपने दोस्तों के साथ खाने के पैकेट लेकर जिन्हें मोहल्ले की भाभियों, मां या दीदी ने तैयार किया था।
मुश्किल वक्त में मदद के इन हाथों को देखकर यकीन मजबूत होता है कि मानवता पर संकट आने की सूरत में यही मानवता के अदृश्य हाथ उठते हैं।