शुरुआत एक सवाल से – क्या क्लासरूम में प्रश्न -उत्तर जनित ज्ञान को साक्षरता कहा जा सकता है। परिभाषा कहती है -हाँ। तो तजुर्बे से पैदा हुए ज्ञान को आप क्या कहेंगे। उस कला को क्या नाम देंगे जिसने दुनिया का पहला गोल पहिया बनाया था या फिर उन दो पत्थरों का घर्षण जिसने इंसान को पहली बार आग की ताक़त से रूबरू कराया था। इन दोनों खोजों ने मानव सभ्यता मानो पर दे दिए थे। तमाम आने पीढ़ियों को विकास का ककहरा सिखाया था। शायद कुदरत की गोद ही दुनिया की पहली क्लासरूम रही होगी।
खैर चलिए बात आधुनिक काल की करते हैं। 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस क्यों मनाया जाता है – 26 अक्टूबर, 1966 को UNESCO की 14वीं आम सभा में इस दिन को इंगित किया गया था। 1967 से इस दिवस को सालाना तौर पर दुनिया भर में मनाया जाने लगा।
यूनेस्को के मुताबिक़ इस दिन सरकारों, सिविल सोसाइटी और नागरिकों को कुछ ठहर कर साक्षरता (लेखन -पाठन ) से जुड़े सुधारों और चुनौतियों पर गौर करना चाहिए। ये दिवस साक्षरता को मानवाधिकारों और उनकी गरिमा से भी जोड़ता है। जान लीजिये कि साक्षरता को सामाजिक एवं निजी विकास की बुनियाद मना जाता है।
तो इस बरस की थीम है ”कोविड काल में साक्षरता और उसका आने वाला कल”, .इसमें तवज्जो शिक्षकों और बदलती हुई शिक्षा पद्धति पर है। यानी शिक्षा एक जीवनपर्यन्त यात्रा है और जिसका फोकस युवाओं पर है। विशेषज्ञों के मुताबिक़ इस दौर में तमाम ऐसी चुनौतियाँ पेश आयीं जिनका इतिहास में कोई ज़िक्र तक नहीं है। तमाम देशों में कोविद के चलते साक्षरता कार्यक्रमों पर खासा बुरा असर पड़ा और कुछ ही संपन्न देश ही ऑनलाइन शिक्षण करा पाए। इसी के चलते दुनिया भर में अब शिक्षण के नए आयाम गढ़े जा रहे हैं, संवाद के बेहतर तौर तरीके विकसित हो रहे हैं, नयी नीतियां बनायीं जा रही हैं। इस पहल में तकनीक बड़ी भूमिका अदा कर रही है।
फिलहाल, संयक्त राष्ट्र के आकड़ों के मुताबिक़ दुनिया भर में करीब 77 करोड़ व्यस्क और युवा अशिक्षित है। साथ ही लगभग 61 करोड़ ऐसे बच्चे और किशोर हैं जो वाचन और गणित में बुनियादी तौर पर कमज़ोर हैं। यानी विश्व साक्षरता पहलों की भूमिका सशक्त, उर्वरक और प्रासंगिक बनी रहनी चाहिए।
तो जाते जाते –
2019 के आकड़ों के मुताबिक़ भारत की साक्षरता दर लगभग 70 % है
ग्रामीण भारत में – करीब 65 % (महिला – 57 %, पुरुष -72 %)
शहरी भारत में – 80% (महिला -75 %, पुरुष -84%)
साक्षरता विकास दर योजनाएं / कानून – शिक्षा सहयोग योजना, सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, साक्षर भारत, कन्या साक्षरता प्रोत्साहन योजना, कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना, RTE Act
भारत की जनसँख्या और फैलाव को देखते हुए शिक्षा प्रसार एक बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य है जिसमें अवाम की भागीदारी ज़रूरी हो जाती है। इस महायज्ञ से आप भी जुड़िये। आस पास देखिये – ज़रूर कोई किताब लिए आपकी तरफ उम्मीद से देख रहा होगा। नहीं तो खुद खोजने निकल पड़िये -अभी … क्यूंकि
पढ़ा-लिखा इन्सान ही, लिखता है तकदीर
अनपढ़ सदा दुखी रहा, कहे कवि महावीर